Header Ads Widget

 

एन.आर.सी.सी. द्वारा प्रतापगढ़ के शकरकंद एवं चित्‍तौड़गढ़ के बड़ी सादड़ी गांवों में उष्ट्र नस्ल संरक्षण, जागरूकता एवं स्वास्थ्य शिविर आयोजित

 BBT Times, प्रतापगढ़/बीकानेर


 

बीकानेर, 04 दिसम्बर । भाकृअनुप–राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र (एन.आर.सी.सी.), बीकानेर की वैज्ञानिक टीम ने ‘पशु आनुवंशिक संसाधनों पर नेटवर्क परियोजना’ के अंतर्गत आज ग्राम शकरकंद, तहसील दरियाबाद, जिला प्रतापगढ़ एवं चित्‍तौड़गढ़ के गांव बड़ी सादड़ी में “उष्ट्र नस्ल संरक्षण, जागरूकता एवं स्वास्थ्य शिविर” का आयोजन किया। इस स्वास्थ्य एवं जागरूकता शिविर में गांव व आसपास के लगभग 60 उष्ट्र पालकों एवं अन्य पशुपालकों ने उत्साही सहभागिता निभाई। वैज्ञानिकों ने ऊँट, ऊँटनी के दूध तथा स्थानीय परिस्थितियों में पशुपालन से संबंधित महत्वपूर्ण विषयों जैसे—सामाजिक दृष्टिकोण से ऊँट की उपयोगिता, व्यावसायिक उष्ट्र पालन आदि पर विस्तारपूर्वक चर्चा की। साथ ही इस अवसर पर पशुपालकों को दवाएँ, खनिज मिश्रण, थर्मामीटर, दाना तथा दुग्ध-कैन आदि वितरित किए गए।
विशेषज्ञ के रूप में केन्‍द्र के वैज्ञानिक डॉ. सागर अशोक खुलापे ने ऊँटनी के दूध में निहित औषधीय एवं पोषक गुणों को रेखांकित करते हुए बताया कि इसकी बढ़ती मांग ग्रामीण पशुपालकों के लिए विभिन्न व्यावसायिक अवसर उत्पन्न करती है। उन्होंने ऊँट सहित गाय, भैंस, बकरी एवं भेड़ के वैज्ञानिक प्रबंधन, प्रमुख बीमारियां और उपलब्ध उपचार पद्धतियों पर विस्तृत जानकारी दी। डॉ. सागर ने पशुपालकों को पारंपरिक ‘जीरो इनपुट (शून्य निवेश)’ मॉडल से आगे बढ़कर वैज्ञानिक पोषण-प्रबंधन, उचित खुराक संतुलन और आधुनिक पशुपालन तकनीकें अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया।
इस अवसर पर केन्‍द्र के वैज्ञानिक डॉ. विश्वरंजन उपाध्याय ने ऊँट एवं अन्य पशुओं में पोषण, दूध उत्पादन, ताप-तनाव (हीट स्ट्रेस) और स्वास्थ्य पर पड़ने वाले शारीरिक कार्यिकी (फिजियोलॉजिकल) प्रभाव की जानकारी दी। साथ ही उन्होंने रोग-नियंत्रण, टीकाकरण और स्वच्छता प्रबंधन की व्यावहारिक सलाह भी दी।
केन्‍द्र के निदेशक डॉ. अनिल कुमार पूनिया  ने अपनी वैज्ञानिक टीम के माध्यम से संदेश दिया कि नेटवर्क परियोजना के अंतर्गत आयोजित ऐसे शिविर ग्रामीण पशुपालकों को वैज्ञानिक जानकारी और आधुनिक पशु-प्रबंधन तकनीकों से जोड़ने का सशक्‍त माध्यम हैं। उन्होंने पशुपालकों से अपील की कि वे पोषण एवं स्वास्थ्य संबंधी वैज्ञानिक पद्धतियाँ अपनाकर अपने पशुधन की उत्पादकता और आय में वृद्धि करें।
कार्यक्रम में अतिथि के रूप में गांव शकरकंद के सरपंच श्री शंकर जी ने एन.आर.सी.सी. की टीम के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि ऐसे कार्यक्रम पशुपालकों के लिए अत्यंत लाभकारी हैं और सभी को वैज्ञानिक सलाह अपनाकर अपने पशुधन की सेहत व उत्पादकता बढ़ाने हेतु प्रेरित किया। केन्‍द्र के श्री विक्रम मीणा, कुशल सहायक कर्मचारी एवं श्री नरेंद्र रेबारी ने कार्यक्रम की विभिन्न गतिविधियों के निष्‍पादन में महत्वपूर्ण योगदान दिया। 

Post a Comment

0 Comments